Friday, May 7, 2010
भूमंडलीय ऊष्मीकरण
ग्लोबल वार्मिंग को भूमंडलीय ऊष्मीकरण कहते हैं । इसका अर्थ है , वायु मंडल के तापमान में वृद्धि होना । वायु मंडल के गरम हो जाने से मनुष्य को अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है । केवल वृक्ष ही इस संतुलन को बनाए रख सकते हैं ।
वृक्ष धरा का है श्रृंगार
इससे करो सदा तुम प्यार
इसकी रक्षा धरम तुम्हारा
यह है जीवन का आधार।
वृक्ष धरा का है श्रृंगार
इससे करो सदा तुम प्यार
इसकी रक्षा धरम तुम्हारा
यह है जीवन का आधार।
बच्चों को अभयारण्य एवं राष्ट्रीय उद्यान स्थापित करने की प्रेरणा
अहाते में फलदार वृक्ष लगाओ भावी पीढ़ी के लिए यादगार बन जाओ । प्राकृतिक पर्यावरण संतुलन की उपेक्षा की जा रही है। कहीं ऐसा न हो कि एक दिन इस भयंकर भूल को हमारी भावी पीढ़ी को भुगतना पड़े। आज की पीढ़ी कंप्यूटर का दुर्प्रयोग करके वास्तविक समस्याओं से भागती जा रही है। प्रदूषण से उत्पन अनेकों समस्याओं का सामना इसी पीढ़ी को करना पड़ेगा। अत: बच्चों को वृक्षारोपण की ओर अग्रसर करें तथा केवल एक वृक्ष लगाने के लिए प्रोत्साहित करें जिससे आने वाले बच्चों को राष्ट्रीय उद्यान स्थापित करने की प्रेरणा मिले।
वृक्ष एक चिकित्सक
आज विज्ञान ने कई ऊचाइयो को छुआ है । कई खतरनाक बीमारियों का इलाज अब संभव है लेकिन आज भी लोगो का विश्वास जड़ी -बूटी पर अधिक है । कई वृक्षों के द्वारा इलाज संभव है : जैसे बरगद जिसे कल्पवृक्ष के नाम से भी जाना जाता है ।ये शुगर के मरीजों के लिये रामबाण औषधि है । तुलसी , नीम ,राटी , हरसिंगार जैसे कई वृक्ष है , जो मानव को जीवन प्रदान कर रहे है ।
Thursday, May 6, 2010
विश्व पर्यावरण दिवस
विश्व पर्यावरण दिवस ५ जून को मनाया जाता है। प्रदूषण न केवल राष्ट्रीय अपितु अंतर राष्ट्रीय भयानक समस्या है।
मनुष्य के आस पास जो वायुमंडल है वह पर्यावरण कहलाता है । पर्यावरण का विश्व जगत के स्वास्थ्य एवं कार्य कुशलता से गहरा सम्बन्ध है। पर्यावरण को पावन बनाए रखने में प्रकृति का विशेष महत्व है । प्रकृति का संतुलन बिगड़ा नहीं कि पर्यावरण दूषित हुआ नहीं । पर्यावरण के दूषित होते ही जीव जगत रोग्रस्त हो जाता है ।
वन महोत्सव
भारत में कई त्योहार वृक्षों से जुड़े है। उनमे से एक है वन महोत्सव। इस महोत्सव का आरंभ के एम मुंशी ने किया। इस महोत्सव को १९५० से मनाया जा रहा है । जुलाई के महीने में वृक्षारोपण द्वारा वन महोत्सव का त्योहर मनाया जाता है । वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य लोगों में प्रकृति के प्रति प्रेम और पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना है ।
Tuesday, April 20, 2010
क्या बिना वृक्षों के प्रकृति का श्रृंगार संभव है .......
प्रकृति परमात्मा की अनुपम कृति है । प्रकृति का पल -पल परिवर्तित रूप उल्लासमय है । हृदयाकर्षक है, वह मुस्काती रहती है, सर्वस्व लुटाकर भी हंसती रहती है। प्रकृति के इस सोंदर्य को वृक्ष चार चाँद लगाते है, फूलों की मनोहारी सुन्दरता से मन आत्मविभोर हो जाता है, उसके सोंदर्य से प्रकृति एक दुल्हन के सामान प्रतीत होती है तो क्या बिना वृक्षों के प्रकृति रूपी सुन्दरी का श्रृंगार संभव है। बिना गहनों के क्या दुल्हन मन को लुभा सकती है। वृक्ष प्रकृति का महत्वपूर्ण अंग है । वृक्षों की कटाई प्रकृति से उसका श्रृंगार छीन लेगी। न श्रृंगार, न उल्लास, फिर कौन जाना चाहेगा प्रकृति की गोद मे ?
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